Tuesday 30 June, 2009

सोमा की टिप्पणी पढ़ने लायक है

अपनी पिछली पोस्ट हिंदू बच्चे का मुस्लिम नाम...हाय राम में मैंने एक दुआ मांगी थी। आप सभी साथियों ने उस दुआ के लिए हाथ उठाए थे...लेकिन सोमा वैद्य उससे पूरी तरह सहमत नहीं हैं। उनका मानना थोड़ा अलग है। सहमति-असहमति से परे, उनकी टिप्पणी पढ़ने लायक है...


बिल्कुल सही कहा तुमने ….नाम का मतलब उस शब्द का मतलब कम और उस व्यक्ति के धर्म से ज्यादा लगाया जाता है ...जो गलत नहीं है....लेकिन मेरी समझ से यह भी सही नहीं कि किसी धर्म विशेष के व्यक्ति का नाम किसी और धर्म के अनुसार हो ...वजह है... इसके पीछे कारण कट्टर होना नहीं। नाम कहीं न कहीं उन भावनाओं, संस्कृतियों से जुड़ा हुआ है जिन्हें आप मानते हैं ....( शौकिया, फैशनेबल लोगों को छोड़ दें तो ) अगर किसी के नाम से यह पता चलता है कि वह किस संस्कृति में पला बढ़ा है.. किसमें उसकी आस्था है.. तो उसमें कोई हर्ज नहीं। तकलीफ इस बात से है कि हर धर्म को लेकर लोग पूर्वाग्रहों ( शायद यह शब्द ठीक है ) से ग्रसित हैं ..और बस उसके मुताबिक बन जाती है सोच .... इस्माइल नाम सुनते ही दिमाग में हजारों ख्याल दौड़ जाएंगे...तो स्टीवन के नाम से कुछ और ही तस्वीर उभर कर आएगी ...यह जानने की कोशिश किए बिना कि गलत तो सुरेश या दलजीत भी हो सकते हैं...हिंदू अगर अपने बेटे का नाम अयान रखे तो यकीनन काबिल-ए-तारीफ है...लेकिन शायद इससे ज्यादा जरूरत अपनी सोच को बढ़ाने और अपने धर्म को मानते हुए भी औरों के धर्म को आदर देने की है ।


(सोमा वैद्य स्टार न्यूज, मुंबई में असोसिएट प्रड्यूसर हैं।)

8 comments:

काशिफ़ आरिफ़/Kashif Arif said...

सोमा जी, की टिप्पणी वाकई पढने लायक है।

मैं सोमा जी को सलाम करता हूं उन्होने बहुत अच्छी बात कही है

ओम आर्य said...

बहुत ही सुन्दर ........

संगीता पुरी said...

वाकई सोमा वैद्य जी ने बहुत अच्‍छी बात कही !!

परमजीत सिहँ बाली said...

सोमा जी की टिप्पणी विचारणीय है...उन की बात काफी हद तक सही है।

Udan Tashtari said...

सही बात कही है.

Pooja Prasad said...

सोमा की टिप्पणी हट कर है। उंहोंने विवेक आपकी बात को आगे बढ़ाया है।

पर, मुझे लगता है छोटे छोटे कदम (यदि बच्चे का नाम दूसरे धर्म के अनुसार रख लेना छोटा कदम है तो)बढ़ाने शुरू कर देने चाहिए। एक कदम बढ़ेगा तो दूसरा भी बढ़ेगा। यह दूसरा कदम पड़ोसी उठाएगा और तीसरा कदम पड़ोसी की नौकरानी उठा सकती है। चौथा कदम नौकरानी के बच्चे के स्कूल की टीचर उठाएगी..यह एक कड़ी होगी जो भले ही देखा देखी भी / ही शुरू हुई हो, रुढी को तोड़ेगी। उन प्रतीकों को तो तोड़ेगी जो कहीं भीतर बैठे सांप्रदायिक मन की उपज हैं।

इसीलिए नामों का ग्लोबलाइजेशन होना चाहिए, मेरा यह मानना है।

संदीप said...

Soma ki kewal is baat se sahmat hoon ki sirf naam badalne se kuch nahin hoga balki zaroorat soch ka dayra badhane ki hai. Baki jahan tak kisi naam se dharmik sanskriti ke bodh ke prati unke ati lagaw se sahmat nahin hua ja sakta.

haan, aapne jis post ka link diya wahan soma ji ki tippani nahin dikhi. ek baar check kar leejiye.

संदीप said...

Soma ki kewal is baat se sahmat hoon ki sirf naam badalne se kuch nahin hoga balki zaroorat soch ka dayra badhane ki hai. Baki jahan tak kisi naam se dharmik sanskriti ke bodh ke prati unke ati lagaw se sahmat nahin hua ja sakta.

haan, aapne jis post ka link diya wahan soma ji ki tippani nahin dikhi. ek baar check kar leejiye.