सुना आपने
स्पेशल ईकॉनॉमिक ज़ोन (सेज़) के नौ नए प्रस्ताव आए हैं। वाह भई वाह...क्या मंदी है...लोगों की नौकरियां जा रही हैं...पर सेज के लिए सब ठीक है....असल में कसूर हमारा ही है....
अब तक
तुम चुप रहे
और तुमने देखी
इतिहास की दोहराई
आधुनिक टॉमस रो का
श्वेतांबरी जहांगीरों से मिलन।
कुछ दिन ठहरो,
तुम बस कुछ दिन और ठहरो.
धीरे-धीरे
ये टॉमस रो, ले आएंगे
वही पुरानी, हाथ काटती
विदेशी तलवार
तुम तक भी।
और तुम
जो आज चुप हो
अपने साथियों के कटते हाथ देखकर
उस वक्त भी चुप रहना।
तुम, उस वक्त भी चुप रहना
क्योंकि यही टॉमस रो
तुम्हारे ही बाजारों में
तुम्हें बेचेंगे
नकली विदेशी हाथ।।
(सुना है टॉमस रो ईस्ट इंडिया कंपनी का संदेश लेकर जहांगीर के पास आया था १६१५ में)
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6 comments:
मार्मिक !
बहुत अच्छा लिखा है आपने...
बहु्त सही और सामयिक।
सत्य लिखा है आपने, भले हो कङवी बात.
इन्डिया के दुष्ट-तन्त्र ने,बहु बिगाङी बात.
बहुत बिगाङी बात, मूल्य भी बदल दिये सब.
दी ऐसी सौगात कि,सुधी निष्क्रिय किये सब.
कह साधक क्या जाने भाग्य में क्या लिखा है!
भले हो कङवी बात, आपने सत्य लिखा है.
बिल्कुल ठीक..
कड़वी लेकिन सच्ची बात कही है विवेक जी । इसे कविताई रूप में बयां करना अपने आप में शानदार है । आपकी कविताई सोच के लिए शुक्रिया
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