Tuesday, 2 December 2008

फुंक चुकीं मोमबत्तियां

आप सुन ही रहे होंगे


कितना कुछ हो रहा है...आतंकवादियों ने जैसे देश में ऊर्जा भर दी हो...इतना कुछ होने से कुछ फर्क पड़ेगा क्या...मन में कुछ आया...


फुंक चुकीं मोमबत्तियां

हो चुके प्रदर्शन

आ गए इस्तीफे

मिल चुकीं सरकारें

बढ़ चुकीं दरारें

इंटरनैशनल सहानुभूतियां भी आ गईं

चलो अब उठो

जिंदगी चलाते हैं

रोटी कमाते हैं

जांच-वांच होती रहेगी

हम अगली बार के लिए

हिम्मत जुटाते हैं

4 comments:

seema gupta said...

रोटी कमाते हैं

जांच-वांच होती रहेगी

हम अगली बार के लिए

हिम्मत जुटाते हैं


" bilkul sach kha ek aam inssan or kya kr skta hai, iske siva..... bhut dardnaak.."

Regards

Aadarsh Rathore said...

वाह
क्या लिखा है आपने
निसंदेह बेहद परिपक्व रचना

कुश said...

bilkul thik kaha aapne..

Anonymous said...

क्या चाहते हो भाई...?