आप सुन ही रहे होंगे
कितना कुछ हो रहा है...आतंकवादियों ने जैसे देश में ऊर्जा भर दी हो...इतना कुछ होने से कुछ फर्क पड़ेगा क्या...मन में कुछ आया...
फुंक चुकीं मोमबत्तियां
हो चुके प्रदर्शन
आ गए इस्तीफे
मिल चुकीं सरकारें
बढ़ चुकीं दरारें
इंटरनैशनल सहानुभूतियां भी आ गईं
चलो अब उठो
जिंदगी चलाते हैं
रोटी कमाते हैं
जांच-वांच होती रहेगी
हम अगली बार के लिए
हिम्मत जुटाते हैं
4 comments:
रोटी कमाते हैं
जांच-वांच होती रहेगी
हम अगली बार के लिए
हिम्मत जुटाते हैं
" bilkul sach kha ek aam inssan or kya kr skta hai, iske siva..... bhut dardnaak.."
Regards
वाह
क्या लिखा है आपने
निसंदेह बेहद परिपक्व रचना
bilkul thik kaha aapne..
क्या चाहते हो भाई...?
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