चैंपियंस ट्रोफी में कल गजब का दिन था...सब ‘मुल्ले’ पाकिस्तान की जीत के लिए दुआ कर रहे थे...और सब ‘ना-मुल्ले’ उस दुआ में शामिल थे...वही ‘ना-मुल्ले’, जो ‘मुल्लों’ को पाक की जीत के लिए दुआ करने का अपराधी घोषित करते हैं...और सजा भी तय करते हैं...देशद्रोह की...
कहते हैं पाकिस्तान को दी गई दुआ भी तो देश के लिए ही थी...कौन जाने वे ‘मुल्ले’ पाकिस्तान के लिए उसी तरह दुआ नहीं कर रहे थे, जैसे उन पर आरोप लगते हैं...लेकिन कल कोई सवाल नहीं था...कल उनका 'देशद्रोह' सबको जायज लग रहा था...कुछ 'नामुल्ले' कह रहे थे, अभी हो जाने दो बाद में देख लेंगे...उनकी बेबसी मजेदार थी...
दिलचस्प नजारा था...मजा आ गया...वक्त सबको आईना दिखा गया...
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6 comments:
क्या कहें दोस्त... ऐसा क्यों हुआ... यह सब को मालूम है... जहां अपने हित का मामला आ जाता है वहां धर्म और जाति को कौन पूछता है...और वैसे भी यह दोनों चीजें हमें राजनीति वालों के लिये छोड देनी चाहिये :)
सब देखने का नजरिया है. चश्मे का जैसा रंग होगा ,चीज वैसे ही दिखाई देती है . जरुरत है चश्मे को रंगहीन कर देना. सब कुछ ठीक हो जाएगा .
"कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं हो सकता ,
एक पत्थर तो तबियत से उछालों यारों "
bilkul theek likha hai, dosh hinduon ka hai, jo apne dharm ke liye vote nahi karte, har musalmaan apne dharm ke liye vote karta hai, dharm ke adhar par karta hai, partiyan unki pichhadi chat-ti hain, hindoo napunsak, bewakoof aur gulam hai jo bahut jald phir se gulam banega
वे देशद्रोही ही थे, जो ऐसी दुआएं कर रहे थे…।
और मूर्ख भी, जो ये सोचे बैठे कि पाकिस्तान भारत की मदद कर ही देगा… :)
पाकिस्तान के लिए दुआ करने वाले देश द्रोही नहीं तो क्या है?
पाकिस्तानपरस्त मुल्लों को देशद्रोही कहने पर आपको बुरा लगा क्या?
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