सुना आपने....राजपथ पर पहली महिला प्रेजिडंट की सलामी ने इतिहास रच दिया...कितना आसान है इतिहास रचना...
दिल्ली के राजपथ पर
उस बड़ी सी तोप का मुंह
जब एक महिला प्रेज़िडंट की ओर झुका
तो वक्त रुका
और इतिहास तुरंत ले आया
अपनी पोथी
एक और नाम दर्ज करने के लिए।
कितना आसान है
एक महिला का नाम
इतिहास में दर्ज करना,
हर काम जिसे महान करार दिया गया है
औरत पहली बार ही तो करती है।
क्योंकि रोटी को हर बार गोल बना देना
कोई महान काम नहीं है
रोज सुबह
परिवार में सबसे पहले जगकर
नहाना, धोना, सफाई, बर्तन करने के बाद
सबके लिए नाश्ता बना देना
कोई महान काम नहीं है
बड़ी-बड़ी मशीनें चलाना
और चांद पर हो आना
महान काम हो सकता है
लेकिन
सबके कपड़े धोना, आयरन करना
बच्चों को स्कूल से लाना
सबकी पसंद का खाना बनाना
और सबके नखरे उठाते हुए
सबको अलग-अलग खिलाना
कोई महान काम नहीं है।
मंत्री, प्रधानमंत्री, प्रेज़िडंट बनना
हवाई जहाज उड़ाना
बड़े-बड़े बैंकों को चलाना
औरत को महान बना सकता है,
लेकिन पाई-पाई जोड़कर घर बनाना
महान काम नहीं है।
एक औरत
जब दुनिया की बड़ी-बड़ी समस्याओं पर
भाषण देती है
नारे लगाती है
मोर्चे चलाती है
तो महान हो जाती है
लेकिन पति की कड़वी से कड़वी बात को
चुपचाप सह जाना
अपनी इच्छाओं को दबा लेना
घर और बच्चों की खातिर
मुस्कुराते हुए
अंदर ही अंदर सुबकते जाना
कोई महान काम नहीं है।
जो लोग ऐश्वर्या को विश्वसुंदरी कहकर पुकारते हैं
वही लोग
जरा सा दुपट्टा खिसक जाने पर
अपनी बेटियों को जब दुत्कारते हैं
तो बताते हैं
कि महानता की परिभाषा
पुरुष अपनी खुशी के लिए रचता है
और इसमें
हर उस औरत को शामिल करने से बचता है
जो उसकी निजी संपत्ति है।
प्रेज़िडंट पाटिल
जब आप
एक औरत की तरह
सिर पर पल्ला लिए
गली-मोहल्लों में सबका दर्द बांटती
घूमती नजर आती हैं
तब इतिहास आपको पूछता तक नहीं
जब आप पुरुष की तरह
राजपथ पर सलामी उठाती हैं
तो महान हो जाती है?
यहां अच्छी मां,
अच्छी बेटी
अच्छी पत्नी
अच्छी बहन बनना
कोई बड़ी बात नहीं है,
जब किसी वजह से
औरत सिर्फ औरत रह जाती है
तो बड़ी नहीं कहलाती है
हां, वही औरत
अगर पुरुष बन जाती है
तो महान कहलाती है।
क्योंकि
इस आदिम समाज में
पुरुष बनना महानता की पहचान है
सिर्फ औरत रह जाना
कोई महान काम नहीं है।
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Tuesday, 27 January 2009
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