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थोड़ा सा इंसान...
ज्यादातर मर चुका है...थोड़ा सा बचा है...अंदर कहीं किसी खामोश अंधेरे कोने में...वही कुलबुलाता है...
Sunday, 1 November 2009
तस्वीरों में सैर संडे बुक बाजार की
इस संडे सुबह उठा, तो किताबों से मिलने का मन हुआ। बस कदम चल पड़े दरियागंज की ओर। साथ में कैमरा भी हो लिया। उस मुलाकात में जो कुछ हुआ...पेश है...
ऐसी ही कुछ मुलाकातें और हैं...अगर आपको ये पसंद आईं, तो उनसे भी मिलवाऊंगा।
(बिना अनुमति तस्वीरों का प्रयोग वर्जित है।)
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