tag:blogger.com,1999:blog-5576368964157158013.post3989439617889615272..comments2023-09-25T13:48:40.302+05:30Comments on <b>थोड़ा सा इंसान...</b>: बीजेपी लोकशाही पर चले या भौंकशाही पर, बुक पर बैन नहीं चलेगा<b>विवेक</b>http://www.blogger.com/profile/07114599563006543017noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-5576368964157158013.post-72402011838971277102009-08-27T19:29:12.044+05:302009-08-27T19:29:12.044+05:30विरोधियों की जमात में मुझे भी शामिल करिए।विरोधियों की जमात में मुझे भी शामिल करिए।Pooja Prasadhttps://www.blogger.com/profile/06905471603653467131noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5576368964157158013.post-60332891701957031052009-08-26T10:02:00.852+05:302009-08-26T10:02:00.852+05:30सही बात. किताब पर रोक का क्या काम. वरना अभिव्यक्...सही बात. किताब पर रोक का क्या काम. वरना अभिव्यक्ति की आजादी का क्या मतलब रह जाता है. वैसे विवेक जी आपका ब्लाग तो बड़े काम का निकला.Anup sethihttps://www.blogger.com/profile/13784545311653629571noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5576368964157158013.post-90127533415087683702009-08-22T22:22:30.393+05:302009-08-22T22:22:30.393+05:30सुरेश भाई ने भले ही यह बात व्यंग्य में कही हो, पर ...सुरेश भाई ने भले ही यह बात व्यंग्य में कही हो, पर मैं पूरी गंभीरता से उनकी इस बात का समर्थन करता हूं कि किसी भी पुस्तक या कलाकृति पर बैन नहीं होना चाहिए चाहे वह सेटनिक वर्सेज हो या लज्जा या जसवंतजी की पुस्तक या फिर हुसैन की पेंटिंग। <br />दरअसल जब भी ऐसा कोई मुद्दा सामने आता है कुछ लोग हमेशा 'दूसरे पक्ष' का जिक्र छेड़ते हुए यह दिखाने की कोशिश करते हैं कि वह ज्यादा कट्टर है जबकि ये खुद को ज्यादा सहनशील हैं। इससे बहस का स्वरूप ही बदल जाता है। बहस बैन पर होनी चाहिए, लकोतांत्रिक अधिकारों के हनन पर होनी चाहिए लेकिन बहस एक कट्टरपंथी समूह बनाम दूसरे कट्टरपंथी समूह की हो जाती है।pranava priyadarsheehttps://www.blogger.com/profile/03246678344124088271noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5576368964157158013.post-50886492955117152842009-08-21T21:38:49.261+05:302009-08-21T21:38:49.261+05:30बिलकुल सच कहा विवेक भाई आपने, आपकी बात को दारुल उल...बिलकुल सच कहा विवेक भाई आपने, आपकी बात को दारुल उलूम देवबन्द और दिल्ली के शाही इमाम तक पहुँचाता हूं कि विवेक भाई सलमान रुश्दी की पुस्तक "सैटेनिक वर्सेस" और तस्लीमा नसरीन की पुस्तक "लज्जा" की भी कुछ प्रतियाँ चाहते हैं… :)Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02326531486506632298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5576368964157158013.post-57537608215280958582009-08-21T13:32:21.755+05:302009-08-21T13:32:21.755+05:30मै भी आपके बातो से सहमत हूँ......मै भी आपके बातो से सहमत हूँ......ओम आर्यhttps://www.blogger.com/profile/05608555899968867999noreply@blogger.com